धामी सरकार के 3 ऐतिहासिक फैसलों से मचा हड़कंप!: मदरसा बोर्ड का खात्मा, "ऑपरेशन-कालनेमी" से घुसपैठियों...वहीं अब जबरन-धर्मांतरण पर इतने साल की सजा?
धामी सरकार के 3 ऐतिहासिक फैसलों से मचा हड़कंप!

देहरादून : उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक झटके में ऐसे तीन बड़े फैसले लिए हैं, जिसने पूरे प्रदेश की राजनीति और समाज में हलचल मचा दी है। धामी सरकार ने ‘ऑपरेशन कालनेमि’ चलाकर छद्म वेश में छिपे संदिग्धों पर शिकंजा कसा है, जबरन धर्मांतरण पर अब तक का सबसे सख्त कानून पास कराया है और मदरसा बोर्ड को खत्म करके नया अध्याय खोल दिया है।

ऑपरेशन कालनेमि: छद्म वेशधारियों की अब खैर नहीं :

आपको बता दें कि मुख्यमंत्री के आदेश पर चलाए जा रहे ‘ऑपरेशन कालनेमि’ ने पुलिस और खुफिया एजेंसियों को अलर्ट मोड पर ला दिया है। अब तक 4,000 से ज्यादा लोगों का सत्यापन किया जा चुका है, जिसमें से 300 से अधिक गिरफ्तारियां हुई हैं।

देहरादून में पकड़ा गया था बांग्लादेशी :

गौरतलब है कि अकेले हरिद्वार से 162 गिरफ्तारियां हुई, जबकि देहरादून में एक बांग्लादेशी युवक धार्मिक चोला ओढ़कर अपनी पहचान छुपाते हुए पकड़ा गया। यह अभियान उन लोगों के खिलाफ है, जो धार्मिक वेशभूषा और आस्था की आड़ लेकर समाज में घुसपैठ कर रहे हैं।

धर्मांतरण पर अब तक की सबसे सख्त चोट :

विदित है कि धामी सरकार ने विधानसभा में उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक, 2025 पास कराया है। इस कानून के तहत -

● धन, उपहार, नौकरी या शादी का झांसा देकर धर्म बदलवाना सीधा अपराध होगा।
● अगर कोई शादी के लिए अपना धर्म छुपाता है तो उसे 3 से 10 साल की जेल और 3 लाख रुपये का जुर्माना देना होगा।
● महिला, बच्चा, एससी-एसटी, दिव्यांग या सामूहिक धर्मांतरण पर 14 साल तक की जेल।
● विदेशी फंड से धर्मांतरण कराने पर 7 से 14 साल की जेल और 10 लाख रुपये से अधिक का जुर्माना।
● अगर किसी ने धर्म परिवर्तन कर संपत्ति हासिल की, तो जिला मजिस्ट्रेट को उसे जब्त करने का अधिकार होगा।
● सबसे बड़ा प्रावधान यह है कि जीवन भय दिखाकर धर्म बदलवाने पर आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है।

यह कानून साफ संदेश देता है कि अब जबरन धर्मांतरण की उत्तराखंड की धरती पर कोई जगह नहीं।

मदरसा बोर्ड को किया गया खत्म :

आपको बता दें कि धामी सरकार ने एक और बड़ा फैसला लेते हुए मदरसा बोर्ड को पूरी तरह समाप्त कर दिया है। इसके लिए विधानसभा में उत्तराखंड अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थान विधेयक, 2025 पास किया गया।

क्या है इस अधिनियम में प्रावधान :

गौरतलब है कि इस नए अधिनियम में निम्नलिखित प्रावधान किया गया है। इसके तहत -

● सिर्फ मुस्लिम ही नहीं, बल्कि सिख, ईसाई, जैन और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों को भी शैक्षिक संस्थानों का दर्जा मिलेगा।
● राज्य में ‘उत्तराखंड राज्य अल्पसंख्यक शिक्षा प्राधिकरण’ का गठन होगा, जो अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थानों को मान्यता देगा।
● 1 जुलाई 2026 से मदरसा बोर्ड अधिनियम 2016 और अरबी-फारसी मदरसा मान्यता नियम 2019 खत्म हो जाएंगे।

यह फैसला मुस्लिम समाज के ‘एकाधिकार’ को खत्म कर अल्पसंख्यक शिक्षा को समान अधिकार देने वाला देश का पहला कानून माना जा रहा है।

धामी का राजनीतिक मास्टरस्ट्रोक!

राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि मुख्यमंत्री धामी ने इन तीन फैसलों से सीधे आरएसएस के मूल एजेंडे को जमीन पर उतार दिया है। यह कदम न सिर्फ भाजपा शासित राज्यों के लिए एक गवर्नेंस मॉडल बन सकता है, बल्कि आने वाले चुनावों में भी इसे लेकर बड़ा माहौल खड़ा होगा।

धामी सरकार का यह तिहरा प्रहार; छद्म वेशधारियों और घुसपैठियों पर शिकंजा, धर्मांतरण पर अब तक का सबसे कड़ा कानून, मदरसा बोर्ड का खात्मा; स्पष्ट संकेत देता है कि उत्तराखंड अब ‘धर्मांतरण और कट्टरपंथ के खिलाफ निर्णायक लड़ाई’ लड़ने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।

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